दो दिवसीय भारत दौरे पर आए जर्मन चांसलर शोल्ज, पीएम मोदी से मिलकर, बोले- "दोनों देशों के बीच संबंधों को करेंगे मजबूत" |
नई दिल्ली: जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज शनिवार को भारत में अपने दो दिवसीय दौरे के लिए पहुंच चुके हैं। ओलाफ शोल्ज के स्वागत के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहें। एयरपोर्ट से रवाना होने के बाद जर्मन चांसलर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की है।
इस दौरान शोल्ज ने कहा, "जर्मनी और भारत के बीच पहले से ही अच्छे संबंध हैं और मुझे उम्मीद है कि हम इस रिश्ते को मजबूत करेंगे।" उन्होंने कहा कि हम अपने देशों के विकास और दुनिया में शांति के लिए प्रासंगिक सभी विषयों पर गहन चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि जर्मन चांसलर का ये दौरा 25 से 26 फरवरी तक रहेगा। दोनों देशों के बीच इस मुलाकात में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा होगी। इसके अलावा क्लाइमेट चेंज और कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की जाएगी। पीएम मोदी के साथ मुलाकात के बाद उम्मीद है कि वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मिलेंगे।
#WATCH | We already have good relations b/w Germany and India and I hope that we will strengthen this relationship. I hope we will discuss intensely about all the topics relevant to the development of our countries and also the peace in the world: German Chancellor Olaf Scholz pic.twitter.com/IOtWGvuYYJ
— ANI (@ANI) February 25, 2023
जानकारी के मुताबिक, ओलाफ शोल्ज अपनी भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों को 6वें अंतर-सरकारी परामर्श (IGC) के प्रमुख परिणामों का जायजा लेंगे। साल 2011 में द्विवार्षिक अंतर-सरकारी परामर्श( आईजीसी) तंत्र की स्थापना के बाद से यह जर्मन चांसलर की पहली यात्रा है। बता दें कि शोल्ज पिछले साल ही जर्मनी के चांसलर बने हैं।
जर्मन चांसलर के दौरे से पहले जर्मन राजदूत ने इसकी जानकारी देते हुए एक बयान में कहा था कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की कार्रवाइयां द्विपक्षीय चर्चाओं के एजेंडे में सबसे ऊपर होंगी। शोल्ज के लिए व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना भी अहम मुद्दा होगा, जिसके साथ एक उच्च-शक्ति व्यापार प्रतिनिधिमंडल है जिसमें सीमेंस और सॉफ्टवेयर प्रमुख एसएपी जैसी प्रमुख जर्मन फर्मों के 12 सीईओ शामिल हैं।
दोनों देश प्रति वर्ष 30 बिलियन यूरो के मौजूदा स्तर से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के तरीकों पर गौर करेंगे। जर्मनी ने पूरे भारत में जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए प्रति वर्ष 1.3 बिलियन यूरो आवंटित किए हैं।
बता दें कि बेंगलुरु में जी20 सम्मेलन में जर्मनी ने भी भाग लिया है। इस दौरान वित्त मंत्रियों की बैठक में विचार-विमर्श के दौरान यूक्रेन संकट को प्रमुखता से उठाया गया और जर्मन वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर ले इस मुद्दे को उठाया था।