रक्षाबंधन पर अपने परिवारों के बीच अर्से बाद राखी बँधवाते ब्यूरो चीफ सीमांचल एक्सप्रेस
अशोक कुमार
पटना/नालंदा। आज पवित्र रक्षा बंधन का त्योहार जो भाई बहन के अटूट संबंध को दर्शाता है व्युरो चीफ श्री अशोक कुमार ने अपने परिवारों के बीच बहन श्रीमती वेवी कुमारी से कलाई पर राखी बंँधवाकर अपने आप को इस नगरीय जीवन शैली में ग्रामीण परिवेश का अद्भुत संयोग माना। माना जाता रहा है कि यह रक्षाबंधन की कहानी हर युगों में किसी न किसी रूप में देखा गया है। प्रचलन चाहे जो भी हो अब आधुनिकता का रूप ले लिया हो किंतु सतयुग, द्वापर,त्रेता तथा कलयुग इन चारों युगों में रक्षा सूत्र बांधे जाते रहे हैं। ब्राह्मणवादी व्यवस्था में पंडित, पुरोहित लोग अपने यजमान को रक्षा सूत्र बांँधते थे तो कभी राजाओं के राजपुरोहित उन्हें रक्षा सूत्र बांँधा करते थे। द्रौपदी ने श्री कृष्ण को भाई मानकर रक्षा सूत्र बाँधी तो आज वर्तमान समय में हर बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बाँध रही है। प्रचलन तो अब देवताओं को भी रक्षा सूत्र बांँधने का है तथा वृक्ष को भी राखी बांँधने का हो चुका है। अद्यतन स्थिति में कुछ और भी विकास होगा। कभी रक्षा सूत्र कच्चा धागा हुआ करता था आज रेशम की डोर, सोने चांदी की राखी भी प्रचलन में आ गया है। बात कुछ भी हो किंतु रक्षाबंधन रक्षा हेतु ही वादा प्रतिवादा का प्रतीक रहा है