भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 132 वीं जयंती पर राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों द्वारा शुभकामनाएं देने पर प्रतिक्रिया




🔴• आलेख • अशोक कुमार • सामाजिक कार्यकर्ता एवं उप ब्यूरो चीफ • सीमांचल एक्सप्रेस बिहार

पटना : दिनांक 14 अप्रैल बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का 132 वीं जयंती बिहार की राजधानी पटना में हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया।  यह कार्यक्रम विभिन्न राजनीतिक दलों ने एवं विभिन्न संगठनों द्वारा मनाया जा रहा है सच यह है कि इनके विचारों को आत्मसात करने का जज्बा किसी संगठन एवं राजनीतिक दलों में नहीं है यह केवल लोगों को जो दलित पिछड़े वर्ग है उन्हें लुभाने का एक तरीका मात्र है जो कि आज धीरे-धीरे यह लोग अब जाग चुके हैं और भारतीय लोकतंत्र एवं राजनीतिक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर संविधान निर्माण करने तक में इन्होंने अपना प्राण न्योछावर कर दिया फिर भी इन्हें स्वयं उचित एवं यथोचित सम्मान नहीं मिल पाया। उन्होंने गरीबों को के लिए जो कार्य अपने जीवन रहते किया था उसी का परिणाम आज सामने है शोषित वंचित लोग भी अपने हक की बात संविधान सम्मत कर रहे हैं राजनीतिक तो दूरगामी हुआ करता था और आज भी जो सम्मान के हकदार डॉ अंबेडकर है ह्रदय से कोई भी राजनीतिक दल या संगठन नहीं दे पाता है केवल और केवल वोट लेने की राजनीतिक तक यह सिमटा हुआ है किसी भी राजनीतिक दलों में इच्छा शक्ति नहीं है कि संविधान सम्मत शोषित वंचित  एवं पिछड़े लोगों को बराबर का अधिकार दे सके। यह केवल ख्याली पुलाव जैसी बात है अब तक के सारे परिदृश्य को देखकर ही लेखक का व्यक्तिगत विचार लगभग शत प्रतिशत सही है

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