भगवान महावीर के सिद्धांत: जींवन जीने की कला सिखाते है





भगवान महावीर के सिद्धांत: जींवन जीने की कला सिखाते है

जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की  2622 वीं जन्म जयन्ती 21.4.2024 को पूरे देश भर में मनाई जाएगी। आज 

पूरा विश्व जिस हिंसा और अशांति के दौर से गुजर रहा है। उसे शांत करने का एकमात्र उपाय भगवान महावीर के सिद्धांतों को अपनाना है।

पटना : भगवान महावीर के सिद्धांतों में "जिओ और जीने दो" का महत्वपूर्ण स्थान है। "जिओ" का अर्थ है जीवन को संपूर्णता से जीना, और "जीने दो" का अर्थ है अन्य जीवों को भी उनके जीवन को संपूर्णता से जीने का अधिकार देना। उनके अनुसार हर प्राणी का जींवन अनमोल है। उन्हें अपना जीवन जीने का अधिकार है। इसलिए स्वयं के जींवन के समान ही हर प्राणी के जींवन को मूल्यवान समझना चाहिए और उतना ही सम्मान देना चाहिए। 

   इसलिए उन्होंने जींवन में अहिँसा को भी महतवपूर्ण स्थान दिया। अहिंसा का अर्थ है- किसी भी प्राणी को किसी के भी द्वारा किसी भी प्रकार की हानि न पहुँचाना। चाहे वह मानव हो या पशु पक्षी या अन्य जीव। जब हम किसी को जिंदगी दे नही सकते तो हमे किसी की जिंदगी लेने का भी अधिकार नही है।

  भगवान महावीर के उपदेशानुसार हमारा भोजन भी दया,ममता और करुणा से युक्त अहिंसक  होना चाहिए। शुद्ध शाकाहारी भोजन में जीव हिंसा नही होती और यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हितकर है। अभी हमारे देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी व माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी स्वयं शाकाहारी है व उन्होंने वैश्विक स्तर पर शाकाहार  की स्थापना कर भारतीय संस्कार व संस्कृति में चार चाँद लगाये है। 10 सितंबर 2023 को जी-20 शिखर सम्मेलन में होने वाला भोज पूर्ण शुद्ध शाकाहारी था। जी-20 देशों का स्लोगन - *one earth,one family,one future* जो घोषित करता है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। *वसुधैव कुटुम्बकम* यह भारतीय दृष्टिकोण पूरे विश्व को एक परिवार की तरह साथ मिलकर प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 

*वसुधैव कुटुम्बकंम* की कल्पना आज के परिवेश में भी सम्भव है.. अभी कोरोना काल मे जब एक साथ कोरोना वायरस के रूप में विपदा आयी तो लगभग सभी पीड़ित देश एक साथ हो गए थे । एक परिवार की तरह मिलकर एक दूसरे की सहायता की।  जान जाने के भय ने सभी को पूर्ण शाकाहारी बना दिया।

 जान जाने के भय के संदर्भ में यह बात भी हमे सोचनी होगी कि जब हम मात्र दो तीन वर्षों में अपनों को अपनी जिंदगी से दूर जाते नही देख सके तो क्या उन मूक पशु-पाक्षियों के प्रति हमे करुणा नही रखनी चाहिए जिनकी जिंदगी हम मुँह के स्वाद के लिए ले लेते है। वे जीव भी रोते है जब उनके अपने कटते है। सत्य यही है तन मन को स्वस्थ रखने के लिए शाकाहार अत्यंत आवश्यक है।

  भगवाम महावीर के विचारों में सहिष्णुता भी एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।हमारा व्यवहार सबके प्रति समझदारी व सहानुभूति युक्त होना चाहिये। जैसा सम्मान हम दूसरों से स्वयं के लिए चाहते है वैसा ही व्यवहार हमे दूसरों के प्रति अपनाना चाहिए। इससे समाज मे सद्भावना व शांति का माहौल बनता है।
आज समाज ,राष्ट्र एवं विश्व मे फैली बुराइयों को केवल महावीर के सिद्धांतों से दूर किया जा सकता है।

*हिंसा पीड़ित विश्व ,राह महावीर की तकता है।*
*वर्तमान को वर्द्धमान की आवश्यकता है।।*

    इस प्रकार भगवान महावीर के दृष्टिकोण अनुसार अहिंसा,शाकाहार और सहिष्णुता को अपनाकर  सम्पूर्ण विश्व में सभी मानव एक  शांतिपूर्ण और संतुलित जींवन जी सकते है और अपने देश को समृद्ध बना सकते है।

  

Post a Comment

SEEMANCHAL EXPRESS

Previous Post Next Post