नई बसों के साथ-साथ पुरानी बसों की मेंटेनेंस में भी घोटाला जांच के लिए भाजपा विधायकों ने दिया सीवीसी को ज्ञापन


Seemanchal Express Bureau New Delhi,J.k Kushwaha
नई दिल्ली, 16 सितम्बर 2021 :  डीटीसी की एक हजार नई बसों की खरीद में कथित घोटाले के बाद अब डीटीसी की पुरानी बसों की मेंटेनेंस के नाम पर भी एक बड़ा घोटाला किया गया है। एक नॉन-एसी बस की कीमत करीब 50 लाख रुपए है, लेकिन दिल्ली सरकार ने पुरानी बसों की मेंटेनेंस के लिए भी 50-50 लाख रुपए का एएमसी कांट्रेक्ट दे दिया है। दिल्ली विधानसभा के सभी विधायक नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में आज केंद्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष श्री सुरेश एन. पटेल से मिले और इस सारे मामले की जांच की मांग के लिए उन्हें ज्ञापन सौंपा। सीवीसी अध्यक्ष ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में श्री बिधूड़ी और भाजपा के सभी विधायकों सर्वश्री श्री विजेन्द्र गुप्ता, श्री मोहन सिंह बिष्ट, श्री ओमप्रकाश शर्मा, श्री जितेन्द्र महाजन, श्री अनिल वाजपेयी, श्री अजय महावर और श्री अभय वर्मा ने बताया कि यह मामला आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली के टैक्स पेयर्स की खून-पसीने की कमाई पर दोनों हाथों से लुटाने का एक और उदाहरण हैं। सीवीसी को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार आई है दिल्ली में एक भी नई बस नहीं खरीदी गई। अब स्थिति यह है कि डीटीसी के बेड़े की 3,760 बसे अपनी उम्र पार कर चुकी हैं। ये बसें चलाना सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत खतरनाक है। होना तो यह चाहिए था कि इन पुरानी बसों को सड़कों से हटाकर इनकी जगह नई बसें लाई जानी चाहिए थी लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार एक भी नई बस नहीं खरीद सकी। संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली भाजपा के मीडिया सह-प्रभारी श्री हरिहर रघुवंशी एवं श्री अनिल वर्मा उपस्थित थे। भाजपा विधायकों ने कहा कि अब दिल्ली सरकार ने सरकारी खजाने को लुटाने का एक और काम किया है। डीटीसी की एक हजार खटारा बसों की मेंटेनेंस के नाम पर 500 करोड़ रुपए का एएमसी कांट्रेक्ट दे दिया गया है। अगर दिल्ली सरकार 1000 नई नॉन एसी बसें खरीदती तो उनकी कीमत 500 करोड़ रुपए ही होती लेकिन अब सिर्फ मेंटेनेंस के लिए इतनी राशि दी जा रही है। बिधूड़ी ने बताया कि डीटीसी की बाकी बची करीब 2600 बसों के लिए भी यह कांट्रेक्ट देने की तैयारी चल रही है। इस तरह करीब 1800 करोड़ रुपया सिर्फ पुरानी बसों की मेंटेनेंस पर तीन साल के लिए खर्च किया जा रहा है जोकि पहले से ही चलने लायक नहीं हैं। इतनी राशि में तो 3600 नई बसें आ जातीं जो कि दस साल तक चलतीं।



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