S.U.C.I (कम्युनिस्ट) के बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी कॉमरेड रामउदगार ने नामांकन किया






• उम्मीदवार राम उदगार ने बेगूसराय में भारत प्रसिद्ध मीठे जल वाला कांवर झील को पर्यटक स्थल बनाने, विश्वविद्यालय खुलवाने, AIIMS, और फसल से उत्पादित होने वाले समान का उद्योग लगाने आदि पर जोर दिया।





बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) उम्मीदवार रामउदगार ने नामांकन किया। इस मौके पर  एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के बिहार राज्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मार्क्सवादी के रूप में हम जानते हैं कि चुनाव के जरिये किसी एक पूंजीवादी पार्टी की जगह पर कोई दूसरी पूंजीवादी पार्टी निर्वाचित होती है। आज जनादेश के नाम पर वास्तव में पूंजीपतियों का ही आदेश चलता है। जनता नहीं, बल्कि धनबल, प्रशासनिक बल, मीडिया बल और बाहुबल का गठजोड़ तय करता है कि चुनाव में किसकी जीत होगी। चुनाव में एक ओर भाजपा के नेतृत्व में एनडीए, तो दूसरी ओर कांग्रेस  के नेतृत्व में 'इंडिया'--मुख्य रूप से ये दोनों बुर्जुआ गठजोड़ ही ये प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं। भाजपा के कर्णधार दावा कर रहे हैं कि वे भारत में 'रामराज्य' कायम करने जा रहे हैं और उनके पिछले 10 वर्षों के शासन में देश में बड़े पैमाने पर 'विकास' हुआ है। 'विकास' तो हुआ है, लेकिन किसका विकास हुआ है? इजारेदार पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय निगमों का विकास हुआ है। उन्होंने मजदूर वर्ग और जनता का बड़े पैमाने पर शोषण कर भारी मुनाफा लूटा है और आज भी लूट रहे हैं। एक ओर पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुनाफे का पहाड़ बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर देश में करोड़ों बेरोजगारों की मौजूदगी तथा हजारों कल-कारखाने बंद रहने की वजह से कई करोड़ मजदूरों की छंटनी हो रही है, औद्योगिक क्षेत्रों में एकाधिकार पूंजी का मालिकाना केन्द्रीभूत हो रहा है और मझोले तथा छोटे उद्योग बर्बाद हो रहे हैं। सिर्फ खुदरा कारोबार ही नहीं, बल्कि थोक व्यवसाय को भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हड़प रही हैं। निजी मालिकों का मुनाफा बढ़ाने के लिए बिजली, रेल, बैंक, इस्पात, कोयला और बंदरगाह समेत विभिन्न सरकारी उद्योगों को उन्हें सौंपा जा रहा है। मध्यम वर्ग की तादाद घटते-घटते पेंदी में पहुंच चुकी है। वस्तुओं की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। जनता पर टैक्स का बोझ भी बढ़ रहा है। भूख और बेरोजगारी की पीड़ा से हर रोज अनेक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। अनेक लोग प्रवासी मजदूर के रूप में लक्ष्यहीन होकर यहां-वहां भटक रहे हैं। लाखों सरकारी पद खाली रहने के बावजूद रोजगार न मिलने के कारण बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। उद्योगों में, यहां तक कि सरकारी विभागों में भी स्थायी रोजगार की जगह पर ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी है, जहां न कोई निश्चित मजदूरी है और न ही काम के घंटे तय हैं। रोजाना अनेक महिलाएं बलात्कार की शिकार हो रही हैं। कर्ज न चुका पाने के कारण लाखों किसान और भूख की वजह से अनेक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। 




उन्होंने आगे कहा कि इस चुनाव में हमारी पार्टी एसयूसीआई (कम्युनिस्ट), मार्क्सवाद और जुझारू वामपंथ की विचारधारा को लेकर जनता को उपरोक्त बातों से राजनैतिक रूप से जागरूक करने के मकसद से भारत के 19 प्रदेशों और 3 केन्द्र शासित क्षेत्रों में कुल 151 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। अगर हमारे उम्मीदवार विजयी होते हैं, तो वे संसद के अंदर जनता की मांगों को लेकर संघर्ष करेंगे और साथ ही संसद के बाहर सड़कों पर शोषित लोगों के वर्ग संघर्ष और जनवादी आन्दोलन को जारी रखेंगे। हमें उम्मीद है कि जनता हमारी इन बातों पर विचार करेगी और हमारे उम्मीदवारों को विजयी बनाकर शोषित लोगों के वर्ग संघर्ष और जन आन्दोलन को मजबूत करने में मदद करेगी।




इस मौके पर एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के राज्य कमिटी सदस्य राजकुमार चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद लम्बे दिनों तक कांग्रेस ने देश पर शासन किया और इसी कांग्रेस ने पूंजीवाद के लिए फासीवाद का आधार तैयार किया। भाजपा इस आधार को और पुख्ता कर रही है। इस फासीवाद को कायम करने के लिए भाजपा हिंदुत्व के नाम पर भारत को अतीत के धार्मिक अंधेरे के युग में वापस ले जा रही है, वैज्ञानिक तर्कवाद की परंपरा को मिटा रही है।  साथ ही गरीबों और शोषित लोगों में कट्टरता पैदा करके सांप्रदायिक नफरत और उन्माद का माहौल तैयार किया जा रहा है। इसलिए पूंजीपति वर्ग की भरोसेमंद पार्टी भाजपा की इन तमाम जनविरोधी कार्रवाइयों, फासीवादी कदमों, सभी क्षेत्रें में पार्टी का वर्चस्व कायम करने, विरोधी विचारों का गला घोंटने, उग्र हिंदुत्व और सांप्रदायिक मानसिकता को बढ़ावा देने आदि की वजह से अगले चुनाव में भाजपा को परास्त करना आवश्यक है। 




पार्टी जिला इन्चार्च रामपुकार विद्यार्थी ने कहा कि कांग्रेस कभी भी 'धर्मनिरपेक्ष' और लोकतांत्रिक' नहीं रही। कांग्रेस ने ही 'आपातकाल' लगाया। उसने ही टाडा, मीसा, एस्मा, अफस्पा, यूएपीए आदि जैसे अलोकतांत्रिक कानून लाया, जिन कानूनों को भाजपा और सख्ती से लागू कर रही है। नतीजतन पूंजीवाद के हितों की हिफाजत करने वाले इण्डिया गठबंधन को जनता समर्थन नहीं दे सकती। सूबे बिहार में 2005 से ही सुशासन और विकास के नाम पर नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार चल रही है, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, कल-कारखानों के विकास और आवश्यकतानुसार रोजगार देने के मामले में स्थिति बेहद चिंताजनक है। राज्य में बाढ़ और सुखाड़ की समस्या से हर साल एक बड़े क्षेत्र के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अभी तक कोई मास्टर प्लान तैयार कर इसके स्थाई समाधान की कोशिश नहीं हुई। लोगों का अनुभव बताता है कि राज्य में जदयू-भाजपा हो या राजद-कांग्रेस सभी पार्टियों का मकसद जोड़तोड़ से सरकार बनाकर सत्ता-सुख हासिल करना है। अपनी मकसद में कामयाब होने के लिए इन सभी पार्टियों ने लोगों को मजहब और जातपात में बांटने की भरसक कोशिश की है। 




इस मौके पर बेगूसराय जिला वकील संघ के महासचिव विजय कांत झा, जय प्रकाश मालाकार, विकास कुमार आदि सैकड़ों लोग उपस्थित थे। 


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