उज्जैन महाकाल द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक अदभूत नजारा
आलेख - अशोक कुमार
उज्जैन ( मध्यप्रदेश ) : द्वादश ज्योतिर्लिंग में एवं उज्जैन में महाकाल दर्शन के लिए श्री अशोक कुमार सपरिवार के साथ दर्शन किया, तथा विक्रमादित्य काल के शासन व्यवस्था के बारे में जानकारी साझा किए। उज्जैन एशिया महादेश व भारत का ऐसा स्थान है जहाँ से कर्क रेखा गुजरती है। भीषण गर्मी के साथ वर्षा भी हमेशा दोपहर के बाद होते रहता है। यह स्थान सुन्दर एवं सुन्दर दिखाई देता है जहाँ विभिन्न ऐतिहासिक मंदिरों से भरे हैं उन्ही मंदिरों में काल भैरव का मंदिर, संदपनी मुनि का आश्रम मंदिर जहाँ कृष्ण, बलराम ने शिक्षा प्राप्त किए थे। गढ़ कालिका मंदिर जहाँ माता का आंख गिरा था। महाकाल मंदिर जो विश्वप्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ सुबह भस्म आरती का प्रावधान है जहाँ श्मशान के राख द्वारा आरती होता है जिसे देखने हेतु बड़ी संख्या में लोग प्रातः चार बजे से ही लाइन में लगकर इस आरती को देखते हैं पहले यहीं भस्म आरती में टिकट या पैसे का प्रावधान नहीं था किन्तु कालान्तर में भीड़ ज्यादा होने के कारण टिकट व पैसे की बात प्रचलन में आया है । कुल मिलाकर देखा जाए तो ज्योतिर्लिंग के कारण भीड़ बहुत ज्यादा होता है। किंतु क्षिप्रा नदी का स्थिति गंदगी के कारण बहुत ही दयनीय है। मध्यप्रदेश सरकार एवं मंदिर प्रबन्धक को इसपर ध्यान देना चाहिए था।