सड़कों पर दिनभर कूड़ा बीनते व नशा करते मासूम बच्चे

♦️• सड़कों पर दिनभर कूड़ा बीनते व नशा करते मासूम बच्चे..!!

♦️ • संबंधित विभाग सोता कुम्भकरणीय नींद..!!

♦️• सरकार तो अपने समय से बेहतर करने की कोशिश करती और योजनाएं चलाती लेकिन योजनाएं एवं ऐसी समितियां जिनके ऊपर जिम्मेदारी होती वह भी इसमें अच्छी खासी तनख्वाह और रकम लेने के बाद भी अपने कर्तव्य से पूरी तरह निष्क्रिय..!


उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा बाल श्रम व बाल यौन शोषण को रोकने के उद्देश्य से बहुत से प्रयास किए जाते हैं तथा ऐसी योजनाएं चलाई जाती है जिससे बच्चों का पुनर्वास हो सके बहुत बड़ी संख्या में ऐसे भोले मासूम बच्चे भी हैं जो सड़कों पर दिनभर कूड़ा बीनते हैं और छोटी छोटी उम्र में नशा करते हैं।आए दिन सड़कों के किनारे और अब तो चैराहों रोडवेज स्टैंड पर भी ऐसे बच्चे मिलना आम बात है जो खतरनाक नशा करके अपना जीवन तबाह और बर्बाद कर रहे हैं जबकि कहा जाता है कि बच्चे ही देश का आगे चलकर निर्माण करते हैं लेकिन नशे के मामले में हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं दिन हो या रात हो ऐसे बच्चों की संख्या किसी भी कीमत पर कम होती दिखाई नहीं दे रही है यदि यही हालात रहे तो आने वाली पीढ़ी को नशे की इस बर्बादी से बचाना बहुत मुश्किल काम हो जाएगा सरकार तो अपने समय से बेहतर करने की कोशिश करती है और योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन योजनाएं एवं ऐसी समितियां जिनके ऊपर जिम्मेदारी होती है वह भी इसमें अच्छी खासी तनख्वाह और रकम लेने के बाद भी अपने कर्तव्य से पूरी तरह निष्क्रिय से रहते हैं तथा उनकी सक्रियता केवल फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहती है और वह ऐसी ही सस्ती लोकप्रियता के चलते प्रचार-प्रसार करके यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि वह इस मुद्दे पर बहुत बड़ा काम कर रहे हैं जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है यदि हम अपने शहर की बात करें तो यहां पर किसी को यह भी नहीं पता कि बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए कोई समिति भी काम कर रही है! नहीं कोई कार्यालय दूर दूर तक नजर आता है और ना ही कोई बोर्ड और कहीं छुप कर बैठे हो और काम करते हो तो कुछ नहीं कहा जा सकता!वास्तविकता को देखते हुए काम करने की बहुत जरूरत है और ऐसे लोगों को टीम में लाया जाए जो जमीनी हकीकत को समझकर ऐसे बच्चों के हित में काम कर सके सरकार के द्वार सरकार द्वारा चलाई जा रही समितियों की जिम्मेदारी जिन जिम्मेदारों को सौंपी गई है उनकी निष्क्रियता विमुखता को लेकर चर्चा भी होती हैं और शिकायतें भी लेकिन किसी पर कोई प्रभाव पड़ता नजर नहीं आता है मानो यह सब कुछ भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा बन चुका हो जबकि सरकार अपने स्तर से ऐसी समितियों के संचालकों सदस्यों को बाकायदा वेतन आदि भी देती है लेकिन इसके बावजूद भी इनका कहीं कोई भी अस्तित्व नजर नहीं आता है इस संदर्भ में सरकार को ही गंभीरता पूर्वक विचार मंथन करके बच्चों के शोषण पुनर्वास आदि के लिए सोचना होगा ताकि बच्चों का भविष्य बर्बाद होने से बचाया जा सके।

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