उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नैतिकता के आधार पर दें इस्तीफा




♦️• दिल्ली की वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाओं की खुल गई पोल: बिधूड़ी

एलएनजेपी अस्पतात की घटना की उच्चस्तरीय जांच हो

♦️• उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नैतिकता के आधार पर दें इस्तीफा

 

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में एक जीवित बच्चे को मृत बताकर उसके परिजनों को देने के मामले पर गहरा दुख और निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को वर्ल्ड क्लास बताती है और एलएनजेपी अस्पताल को अपना सर्वश्रेष्ठ अस्पताल कहती है। इस घटना ने दिल्ली सरकार के सारे खोखले दावों की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय का काम देख रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया में अगर थोड़ी भी नैतिकता बची है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

 

बिधूड़ी ने कहा कि महिला को 17 फरवरी को अस्पताल में दाखिल कराया गया था और 19 फरवरी की शाम को उसने एक बच्ची को जन्म दिया लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मौत हो चुकी है और उसे ग्लव्स के एक डिब्बे में पैक करके परिवार को थमा दिया। घर आकर परिवार ने डिब्बा खोला तो बच्चा हिल रहा था। इसके बाद जब परिवार अस्पताल वापस पहुंचा तो भी डॉक्टरों ने गलती मानना तो दूरबच्चे को दाखिल करने से भी मना कर दिया। इससे ज्यादा अमानवीय और क्या हो सकता है कि पुलिस की मदद से बच्चे को दाखिल कराया जा सका। बिधूड़ी ने याद दिलाया कि यही एलएनजेपी अस्पताल ही है जिसे कोरोना काल के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बूचड़खाना कहा था। अस्पताल में लाशों के अंबार लग गए थे और मरीजों को लाशों के साथ लिटा दिया गया था।

 

बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी दिल्ली में स्वास्थ्य क्रांति का दावा करती है लेकिन असल में यह सिर्फ भ्रांति ही पैदा कर रही है। एलएनजेपी अस्पताल की यह घटना तो सिर्फ एक उदाहरण है। सच्चाई यह है कि स्वास्थ्य के नाम पर इस सरकार ने जनता के साथ खिलवाड़ किया है। मोहल्ला क्लीनिकों का बढ़-चढ़कर प्रचार किया जाता है लेकिन इन्हीं मोहल्ला क्लीनिकों के डॉक्टरों द्वारा गलत दवा दिए जाने से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी। दिल्ली सरकार के सर्वश्रेष्ठ कहे जाने वाले राजीव गांधी अस्पताल में स्टेंट डालने के दौरान दां सालों में ही 218 मरीजों की जान चली गई। एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में स्टेंट डालने के दौरान इतनी मौतें होने का किसी पिछड़े देश में भी उदाहरण नहीं मिलेगा। जीटीबी अस्पताल में कोविड की दूसरी लहर के दौरान दाखिल 40 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई। 3793 मरीज एडमिट हुए और 1545 की जान नहीं बचाई जा सकी। कोरोना काल में मोहल्ला क्लीनिक सफेद हाथी साबित हुएवहां इलाज होना  तो दूरटेस्ट तक नहीं किए गए। वहां से दवाइयां भी नहीं बांटी जा सकीं।

 

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं कागजों में ही दम तोड़ देती हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बड़े जोरशसोर से बाइक एम्बुलेंस योजना शुरू की। 22.55 नाख रुपए की लागत से इसे शुरू किया गया। 16 बाइक खरीदी गई और इस योजना के विज्ञापनों पर ही 20.44 लाख रुपए खर्च किए गए। अब ये सभी बाइक खड़ी-खड़ी कबाड़ हो चुकी हैं। दिल्ली सरकार ने सात अस्थाई अस्पताल सिर्फ कागजों में ही चलाए जिसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो कर रहा है।

 

बिधूड़ी ने कहा कि इस घटना में दोषी लोगों के खिलाफ सख्ती कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को तुरंत ही अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि सत्येंद्र जैन के 9 महीने से जेल में होने के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय भी वही संभाल रहे हैं।

 

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