विधानसभा उपचुनाव की हार से बिहार भाजपा के नेताओं पर सवाल; नित्‍यानंद और संजय के अलावा कई नाम लिस्‍ट में

फाइल फोटो, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल



टीम सीमांचल एक्सप्रेस न्यूज़, पटना। : भाजपा की बिहार इकाई में संगठनात्मक चुनाव की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में बोचहां की करारी हार से सत्ता और संगठन में बेचैनी है। माना जा रहा कि भाजपा प्रत्याशी को कोर वोटरों के असंतोष का खामियाजा भुगतना पड़ा। इससे संगठन और सरकार के कई ओहदेदारों के चेहरे भी बेनकाब हुए हैं। चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया है कि जिन पर विश्वास कर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई, वे जनता के बीच पैठ बनाने में असफल रहे। 


हारने वाली बेबी कुमारी हैं प्रदेश महामंत्री 


पार्टी प्रत्याशी बेबी कुमारी के पास प्रदेश महामंत्री की बड़ी जिम्मेदारी है। इसी तरह प्रदेश महामंत्री देवेश कुमार मुजफ्फरपुर जिले के प्रभारी हैं और बोचहां में उन्हें विशेष जिम्मा दिया गया था। प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने आलाकमान को आश्वस्त किया था कि बोचहां चुनाव आसानी से जीत जाएंगे। यही कारण है कि केंद्र से कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार के लिए नहीं आया।


  बिहार प्रभारी भी नहीं आए प्रचार करने 


यहां तक कि 40 स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और हरीश द्विवेदी भी नहीं आए। भूपेंद्र बिहार भाजपा के प्रभारी भी हैं। हरीश द्विवेदी सह प्रभारी। बोचहां में भूमिहार बिरादरी की संख्या अच्छी-खासी है। उन्हें राजी करने के लिए बिरादरी विशेष से नीतीश सरकार में भाजपा कोटे केमंत्री जिवेश कुमार से लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का दौरा भी मात्र कोरम पूरा करने वाला रहा।


 न‍ित्‍यानंद राय और रामसूरत का नहीं दिखा असर 


महत्वपूर्ण यह भी कि स्थानीय होने के बावजूद केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बिहार के मंत्री रामसूरत राय यादव समाज के बीच राजद नेता तेजस्वी यादव के सामने नहीं टिक पाए। रही-सही कसर प्रदेश संगठन के हवा-हवाई पदाधिकारियों ने पूरी कर दी। सूचना है कि केंद्रीय नेतृत्व इन सारे नेताओं को अपनी कसौटी पर परख रहा है। इस हार ने संगठन की जमीनी हकीकत की कलई खोल दी है।

 

नेतृत्व की सांगठनिक क्षमता पर खड़े हो रहे सवाल


अगस्त में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में शीघ्र ही संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। इससे पहले सदस्यता अभियान चलाने की पृष्ठभूमि भी तैयार कर लेनी है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संजय जायसवाल का तीन वर्ष का कार्यकाल इस साल अगस्त में पूरा हो रहा है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के मुकेश सहनी की अति से आजिज आकर लिया गया निर्मम निर्णय भी भाजपा के विरुद्ध गया। इस आधार पर भी संजय की सांगठनिक क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे हैं।


 हवा-हवाई साबित हुए 40 स्टार प्रचारक


बोचहां के लिए भाजपा ने 40 स्टार प्रचारक बनाए थे। फिर भी शर्मनाक हार हुई। 55 से अधिक विधायकों और विधान पार्षदों के एड़ी-चोटी के जोर को भी जनता ने नकार दिया। पिछले चुनाव से 30 हजार कम वोट मिले, जिससे गांव-गांव में अभियान की पोल खुल गई। बेबी कुमारी महज उम्मीदवार ही नहीं थीं, बल्कि पार्टी के प्रदेश महामंत्री भी हैैं। फिर भी स्थानीय कार्यकर्ताओं और संगठन से जुड़े पुराने नेताओं से मेलजोल नहीं रहा। इससे मतदाताओं के बीच गलत संदेश गया। नोटा में गए तीन हजार के करीब वोट भी भाजपा के कोर मतदाताओं के बताए जा रहे, जो प्रदेश नेतृत्व के रुख-रवैया और पार्टी प्रत्याशी के पति के चाल-ढाल से नाराज बताए जाते हैं।

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