विपक्ष के दबाव के कारण किसानों पर प्रस्ताव पर नहीं कराई गई वोटिंग : रामवीर सिंह बिधूड़ी

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नई दिल्ली, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि विपक्ष के दबाव के कारण केजरीवाल सरकार शुक्रवार को किसान आन्दोलन के बारे में अपना प्रस्ताव विधानसभा में पारित नहीं करा पाई। विपक्ष के तर्कों को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस प्रस्ताव के बारे में एक भी शब्द नहीं बोले। बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में नियम-107 के अंतर्गत वीरेंद्र सिंह कादियान द्वारा आन्दोलन कर रहे किसानों के समर्थन में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। प्रस्ताव पर जब चर्चा हुई तो चर्चा के दौरान विपक्ष ने केजरीवाल सरकार को घेरते हुए दिल्ली के किसानों से किए गए वादों की याद दिला दी। दिल्ली सरकार को बताया गया कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के साथ नाइंसाफी की है और वादे पूरे नहीं किए। इन वादों में किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दिल्ली सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अधिक भुगतान करना, मुआवजा राशि को 53 लाख रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए करना, ट्यूबवैल के लिए मुफ्त बिजली, ट्रेक्टर को कृषि यंत्र के रूप में मान्यता देना और उसकी खरीद पर सबसिडी देना शामिल है। इसके अलावा केजरीवाल सरकार को यह भी बताया गया कि दूसरे राज्यों में किसानों को कृषि यंत्रों पर सबसिडी दी जाती है लेकिन दिल्ली ट्यूबवैल, पानी की लाइन, खाद और अन्य कृषि यंत्रों पर सबसिडी नहीं मिलती। दिल्ली में किसानों की अधिग्रहित जमीन के बदले वैकल्पिक आवासीय प्लाट दिया जाता था लेकिन केजरीवाल सरकार के आने के बाद यह सुविधा बंद हो गई। दिल्ली में किसानों के कानूनी उत्तराधिकारियों को अब अब वारिस घोषित नहीं किया जाता यानी दाखिल खारिज की सुविधा बंद कर दी गई है। इसके अलावा गांववालों की मांग है कि ग्राम सभा की जमीन सिर्फ गांववालों के लिए नागरिक सुविधाओं के लिए इस्तेमाल की जाए। श्री बिधूड़ी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के कल्याण के लिए घोषित योजनाओं को दिल्ली में भी लागू करने की मांग की। बिधूड़ी ने कहा कि विधानसभा में सत्तापक्ष अपने आपको किसानों का हमदर्द बताना चाहता था लेकिन जब विपक्ष ने इतने वादे याद दिलाए तो सत्तापक्ष ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग ही नहीं कराई। शायद उसे डर था कि ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ें उसके अपने ही विधायक कहीं बागी नहीं हो जाएं। यहां तक कि बाद में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भाषण हुआ तो उन्होंने भी इस प्रस्ताव के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला।

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