हरीश व्यास, रतलाम/भोपाल
भोपाल, ट्रेनों में सामान चढ़ाने के पहले रेलवे उसकी जांच कर रहा है। तभी सामान लोड किया जा रहा है। भोपाल रेल मंडल के स्टेशनों पर यह जांच सामान की बुकिंग के बाद और ट्रेनों में लोड करने के पहले की जा रही है। दूसरे स्टेशनों से लोड होकर भोपाल, हबीबगंज, इटारसी औन बीना समेत अन्य स्टेशनों पर पहुंचने वाले सामान की जांच डिलीवरी के पहले की जा रही है। रेलवे ने यह जांच प्रक्रिया क्राइम ब्रांच द्वारा तीन दिन पहले मिसरोद क्षेत्र में पकड़ी गई शराब के बाद शुरू की है। उक्त कार्रवाई में सामने आया था कि पकड़ी गई शराब दिल्ली से भोपाल एक्सप्रेस में रखकर लाई जा रही थी। ऐसा तब हो रहा था, जबकि ट्रेनों में शराब समेत अन्य तरह के मादक पदार्थ व ज्वलनशील पदार्थों का परिवहन करना गंभीर कानून अपराध है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तक ट्रेनों में चढ़ाए जाने वाले सामान की जांच नहीं हो रही थी। रेलवे ने चुनिंदा यात्री ट्रेनों में माल के परिवहन का जिम्मेदार स्थानीय स्तर पर ठेकेदारों को दे रखा है। ठेकेदार माल भेजने वालों से भेजे जाने वाले माल की मात्रा, किस्म के बारे में जानकारी लेते हैं। माल पूर्व से ही पैक रहता है, जिसे खोलकर नहीं देखा जाता। ठेकेदार की सूची रेलवे को मिलती है और सामान स्टेशनों से ट्रेनों में चढ़ा दिया जाता है। सूची में कुछ लिखा रहता है और कार्टून के अंदर कुछ और रहता है। इस तरह ट्रेनें ज्वलनशील व मादक पदार्थों के अवैध परिवहन के लिए आसान विकल्प हो गई हैं। यहां तक कि स्टेशनों पर यात्रियों के बैग की जांच करने के लिए बैग स्कैनर लगाए गए हैं, लेकिन यात्री ट्रेनों में पार्सल के रूप में लादे जा रहे सामान की जांच के लिए उपकरणों की बेहद कमी है। इसका फायदा अपराधी किस्म के लोग उठाने की कोशिश करते हैं।