भरत सिंह
नई दिल्ली, दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव एस.एम. अली के साथ अहम बैठक कर कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने दोनों विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए। इस बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव, समाज कल्याण विभाग की निदेशक और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अलावा ज़ीटीबी अस्पताल, राजीव गांधी अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के निदेशक भी मौजूद रहे।
बैठक में मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने निर्णय लिया कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए हमें हर तरह की तैयारियां करनी होगी, क्योंकि संभावित तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका है। महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार के संस्थानों में रह रहे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का आंकड़ा तैयार करके एनजीओ और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से उनको सुरक्षा के दायरे में लाना होगा। इस काम में महिला एवं बाल विकास विभाग को एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करके सभी बाल गृहों, एनजीओ और ऑब्जर्वेशन होम के बीच में समन्वय स्थापित करना होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे जिनके दोनों या दोनों में से एक माता पिता की मृत्यु हो चुकी है, उनका असल आंकड़ा जानने के लिए स्वास्थ विभाग की मदद ली जानी चाहिए। महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ने बताया कि यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग से मांगा जा रहा है, ताकि जिलेवार सर्वे करा कर ऐसे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का असल आंकड़ा पता किया जा सके। मंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे बच्चों का भी पता लगाया जाना चाहिए, जिनके माता-पिता की मृत्यु रिकॉर्ड में नहीं आ पाई है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दिल्ली के सभी शवदाह गृह से आंकड़ा लेकर उसको शामिल करें।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया के अस्पतालों में बच्चों के हिसाब से वेंटिलेटर, मास्क आदि तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में बच्चों के साथ उनके माता-पिता यहां एक अटेंडेंट के ठहरने की व्यवस्था के प्रावधान भी किए जा रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि बच्चों को तीसरी लहर से सुरक्षित रखने के लिए ऐसे माता-पिता का टीकाकरण अनिवार्य है, जिनके बच्चे अभी छोटे हैं या टीकाकरण की आयु से कम हैं।
चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में कोरोना की संभावित तीसरी लहर के दौरान प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी करनी चाहिए। साथ ही, तीसरी लहर की रोकथाम के लिए भी व्यापक प्रयास करने की आवश्यकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने कहा कि चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन को चिकित्सा सुविधा देने के लिए मोबाइल यूनिट का इस्तेमाल किया जा सकता है और सभी बाल गृहों में बच्चों की देखरेख कर रहे स्टाफ का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण करने की भी जरूरत है।Y
महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से कुछ विषय में जानकारी मांगते हुए कहा कि बच्चों की कोरोना टेस्टिंग की क्या प्रक्रिया होगी, टीकाकरण के लिए क्या मापदंड तय किए जाएंगे और स्वास्थ्य विभाग चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में कोरोना का कैसे रोका जाए? इसके लिए मूलभूत ढांचे को तैयार करने में भी मदद मुहैया कराए। विभाग ने कहा कि इस विषय के विशेषज्ञ हर चाइल्ड केयर होम में उपलब्ध रहने चाहिए, ताकि वह प्रत्येक संस्थान में कितने बेड, वेंटिलेटर,ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आदि की आवश्यकता है, इसका आकलन कर सकें।
भारत में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए अभी टीका उपलब्ध नहीं है। ऐसे में संभावित तीसरी लहर के दौरान बच्चों को बचाने के लिए हर तरह की तैयारी और रोकथाम के उपाय ही कारगर साबित हो सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि परिवार कल्याण विभाग के पास ऐसे मॉड्यूल उपलब्ध हैं जिसके जरिए महिला एवं बाल विकास विभाग के स्टाफ को तकनीकी रूप से कोरोना के सामान्य मामलों को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दोनों विभागों के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी अधिकारी एक- दूसरे के साथ संवाद स्थापित रखें और समन्वित तरीके से तकनीक और जानकारी का आदान प्रदान करके सभी 'चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन' को कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयार करें और स्वास्थ्य विभाग प्राथमिकता के आधार पर बच्चों की देखरेख कर रहे सभी स्टाफ को वैक्सीन लगाने का प्रबंध करें।