देश में सचमुच गंगा-जमुनी तहजीब हैं तो फिर चंद लोगो के द्वारा फैलाई जा रही नफ़रत का हम विरोध क्यों नही करते..?


♦️• नए अपराध के विरुद्ध कोई तीव्र विरोध या आपत्ति क्यों नही..??

♦️• देश में सचमुच गंगा-जमुनी तहजीब हैं तो फिर चंद लोगो के द्वारा फैलाई जा रही नफ़रत का हम विरोध क्यों नही करते..?

♦️• बढ़ते हुए सामाजिक प्रदूषण का जहर देर सबेर सबको करेगा प्रभावित..!!

• नई दिल्ली: देश में सचमुच गंगा-जमुनी तहजीब हैं तो फिर चंद लोगो के द्वारा फैलाई जा रही नफ़रत का हम विरोध क्यों नही करते?छोटी-छोटी बात पर उत्तेजित होना इन दिनों समाज में हर तरफ देखा जा सकता है! भीड़तंत्र द्वारा विभिन्न समाजों के बीच हिंसा को देश में एक नई संज्ञा अथवा नया नाम दिया गया ‘माब लिंचिंग’!कहीं चूड़ी पहनाने वाले, कही ड्राइवरों व ट्रेनों में यात्रा करने वाले, भीख मांगने वाले, सब्जी विक्रेता या कपड़ा बेचने या फिर अनेक स्थानों पर ऐसी आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं! लेकिन एक बहुत विचित्र प्रवृत्ति यह देखने को मिली कि इस नए अपराध के विरुद्ध कोई तीव्र विरोध या आपत्ति का ज्वार नहीं उठा? शासन-प्रशासन का रवैया पहले की तरह राजनीति के चश्मे से ही देखा जाता रहा!लेकिन उस बुराई को नजर अंदाज करने के नतीजे समाज में अब परिलक्षित हो रहे हैं!प्रभावशाली बुद्धिजीवी तबका इस मसले पर आज भी चुप्पी साधकर बैठा है और इसी चुप्पी में अपनी भलाई समझ रहा है पर यह स्थिति ठीक नहीं है!बढ़ते हुए सामाजिक प्रदूषण का जहर देर-सबेर सबको प्रभावित करेगा और भविष्य में इस प्रदूषण से बचना मुश्किल हो जाएगा! जागरूक समाज की पहचान यह है कि भविष्य में आने वाले खतरे का अनुमान पहले से ही करके सावधान हो जाया जाए!सामाजिक संवेदना और सहिष्णुता मनुष्य के प्राकृतिक गुण हैं उसके आभूषण हैं सामाजिक जीवन में निर्लिप्त या निर्विकार होकर नहीं रहा जा सकता! संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि श्रेष्ठ समाज के निर्माण के लिए यह अनिवार्य है कि हम सर्वश्रेष्ठ गुण चरित्र और आचरण अपनाएं! संवेदनशील और श्रेष्ठ व्यवहार का प्रदर्शन करें।

Post a Comment

SEEMANCHAL EXPRESS

Previous Post Next Post