दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली व देश के अन्य राज्यों में दिल्ली में शिक्षा में सुधार का ढोल पीट रहे हैं जो बिल्कुल झूठ है केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 2019 तक केवल एक नया स्कूल बनाने की मंज़ूरी दी है बाक़ी लगभग 20 स्कूल वो बनकर तैयार हुए हैं जो कांग्रेस सरकार के समय बनने शुरू हो चुके थे,और कॉलेज तो 2021 तक एक भी नहीं बनाया है इसके अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर शिक्षा में सुधार हुआ है तो सरकारी स्कूलों में छात्र व परीक्षा के परिणाम में पहले की तुलना में बढ़ने चाहिए, लेकिन RTI से प्राप्त सूचना के अनुसार जब से केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हैं दसवीं कक्षा व बारहवीं कक्षा की परीक्ष देने वाले छात्रों की संख्या प्रत्येक वर्ष कम हुई है जबकि दिल्ली की आबादी बढ़ रही है व दिल्ली सरकार के
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स्कूल अच्छे हुए हैं तो छात्र बढ़ने चाहिए, दसवीं कक्षा में वर्ष 2013 में 99.46 % छात्र पास हुए थे इसके बाद दसवीं में पास होने वाले छात्रों की संख्या हर वर्ष घटती रही, और 2019 में घटकर 71.58 % रह गई है,यानी 28% छात्र कम पास हुए हैं,और बारहवीं कक्षा के परिणाम में वर्ष 2013 की तुलना में 2019 में केवल 6% की बढ़ोतरी हुई है वहीं रामनिवास शर्मा ने दावे के साथ कहा कि RTI की सूचना के अनुसार हमारे पास पुख्ता सबूत है कि दिल्ली के स्कूलों में 745 प्रिंसिपल 418 स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल और 15587 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं तो फिर दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्या सुधार हुआ है यह बताए शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ? RTI की सूचना के अनुसार दिल्ली में केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं बल्कि गिरावट आई है