भोपाल, भोपाल से सटे जंगल में ट्रैप कैमरे नहीं बढ़ाए जाएंगे। पूर्व से प्रस्तावित नया ई-सर्विलांस टॉवर भी अभी नहीं लगेगा। आर्थिक तंगी के कारण दोनों योजनाओं पर काम रोक दिया है। ऐसी स्थिति में बाघों की निगरानी पूर्व से मौजूदा दो वाहन और पैदल गश्त से ही करनी होगी। भोपाल देश की संभवत: पहली राजधानी है। जहां मुख्य शहर से 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर खुले जंगल में 18 से अधिक बाघों की मौजूदगी है। इतने बाघों की मौजूदगी के बावजूद बीते सालों में एक भी घटनाएं नहीं हुई है।
इन बाघों की निगरानी के लिए वन विभाग ने समरधा और बैरसिया रेंज में 50 स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों के सामने से जब भी बाघ, तेंदुए व दूसरे वन्यजीव गुजरते हैं तब ये कैमेरे स्वत: ही फोटो ले लेते हैं। इससे क्षेत्र में बाघों की मौजूदगी के बारे में जानकारी मिलती रहती है। ये कैमरे रात के अंधेरे में भी फोटो लेने मे सक्षम होते हैं। दूसरी तरफ ई-सर्विलांस टॉवर बाघों की निगरानी का सबसे सशक्त माध्यम है। इस पर आधुनिक कैमरे लगे होते हैं जो 10 से 15 किलोमीटर रेंज में भ्रमण करने वाले बाघों पर स्वत: निगरानी रखते हैं। यह टॉवर केरवा चौकी में लगा है। कलियासोत डैम के ऊपरी हिस्से में दूसरा टॉवर लगाने की योजना थी जो अधिक जंगल पर निगरानी रखता लेकिन बजट की कमी के कारण यह काम स्थगित कर दिया है।
भोपाल सामान्य वन मंडल के एसडीओ हरिशंकर मिश्रा ने बताया कि अभी जंगल और आबादी से सटी सीमा के बीच तार फेंसिंग करने का काम करवा रहे हैं। यह सबसे जरूरी काम है क्योंकि जंगल के अंदर बाघों की संख्या बढ़ रही है। यदि ये आबादी तक पहुंचते हैं तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। जनहानि होने का भी अंदेशा है। ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए तार फेंसिंग जरूरी है। बजट का इंतजाम होते ही ट्रैप कैमरे और ई-सर्विलांस टॉवर लगाएंगे।