संजय कुमार गाजियाबाद/बुलंदशहर
अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान गोमती नदी परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए सीबीआई ने नया मामला भी दर्ज किया है. यूपी में 40, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में एक-एक सहित 42 स्थानों पर सीबीआई की अलग-अलग टीमें तलाशी ले रही है.रिवर फ्रंट घोटाले के मामले में यह सीबीआई की दूसरी एफआईआर है. इस केस में कुल 189 आरोपी हैं. यूपी में लखनऊ के अलावा, नोयडा, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में सीबीआई ने छापेमारी की है। गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट से जुड़े तीन चीफ इंजीनियर और 6 सुप्रिटेंडेंट इंजीनियरों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है. इंडिया टुडे को पता चला है कि 189 आरोपियों में 16 पब्लिक सर्वेंट हैं और 173 प्राइवेट लोग हैं. इस मामले में सीबीआई की यह दूसरी एफआईआर है इससे पहले 30 नवंबर 2017 को सीबीआई ने इस मामले में पहली एफआईआर दर्ज की थी. पहले एफआईआर में सीबीआई ने आरोप लगया था कि गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डेवेलपमेंट में सिंचाई विभाग की तरफ से अनियमितता बरती गई थी.कथित अनियमितताओं में धन का डायवर्जन, गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के चार प्रमुख कार्यों में टेंडर्स की पूलिंग, डायफ्राम वॉल का निर्माण, इंटरसेप्टिंग ट्रंक ड्रेन का निर्माण, रबर डैम का निर्माण और विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना शामिल है.
अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 1800 करोड़ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में CBI ने अपनी जांच की गति की तेज, यूपी सहित पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई जिलों में की छापेमारी
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बुलंदशहर में कॉन्ट्रैक्टर राकेश भाटी के आवास पर सीबीआई ने रेड की है. यह रेड रिवर फ्रंट घोटाला मामले से जुड़ी बताई जा रही है. राकेश भाटी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं. उनके घर के अंदर सीबीआई की टीम खोजबीन और जांच में जुटी हुई है कई घंटे जुटी रही. इसके अलावा तत्कालीन एसई रूप सिंह यादव के ग्रेटर नोएडा ठिकानों पर भी सीबीआई ने छापेमारी की है. ओमेक्स एनआरआई सिटी C 409E पर सीबीआई की टीम 9 बजे पहुंची और फिर 10:30 बजे रवाना हुई । अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल में लखनऊ में गोमती नदी के तट पर बने रिवर फ्रंट को समाजवादी पार्टी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया गया था. इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद से ही इसमें बड़े घोटाले के आरोप लगते रहे थे. यूपी में योगी सरकार आने के बाद इसकी प्रारंभिक जांच के बाद केस सीबीआई को सौंप दिया गया था. अब सीबीआई इस घोटाले के बड़े जिम्मेदारों पर अपना शिकंजा कस रही है। करीब 1500 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन टीम इस मामले की जांच कर रही थी. राज्य सरकार ने तीन साल पहले घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी।
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