आउटकम बजट आंखों में धूल झोंकने का एक और प्रयास: बिधूड़ी
•रोजगार बजट के वादों को पूरी तरह भूल गई सरकार
•शिक्षा में 37, परिवहन में 31 और जल बोर्ड में 34 फीसदी काम हुआ ही नहीं
•यमुना से गंदे पानी की सप्लाई के आरोपों पर सरकार कर रही है लीपापोती
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार के आउटकम बजट को जनता की आंखों में धूल झोंकने का एक और प्रयास कहा है। उन्होंने कहा है कि आउटकम बजट के नाम पर सफेद झूठ पेश किया गया है और जनता इस झूठ को पकड़ चुकी है।
बिधूड़ी ने कहा कि पिछले साल केजरीवाल सरकार ने बड़े जोर-शोर से रोजगार बजट पेश किया था और यह दावा किया था कि अगले पांच सालों में दिल्ली में 20 लाख रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे। हालांकि इसके लिए कोई कार्ययोजना पेश नहीं की गई थी लेकिन यह कहा गया था कि दिल्ली के पांच बाजारों का कायाकल्प किया जाएगा जिससे रोजगार पैदा होंगे। भाजपा ने तभी सरकार की घोषणाओं पर संशय व्यक्त किया था। जिन बाजारों की कायाकल्प होनी थी, वे हैं कमला नगर, खाली बावली, लाजपत नगर, सरोजनी नगर और कीर्ति नगर। इसके अलावा एशिया की सबसे बड़ी गांधी नगर रेडिमेड गारमेंट मार्केट को स्पेशल पैकेज देकर उसका रूप बदलने की बात कही गई थी। यह भी कहा गया था कि दिल्ली में ट्रक फूड पॉलिसी से लोगों को रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने करोड़ों रुपए के विज्ञापन देकर यह घोषणा की थी कि 28 जनवरी से दिल्ली में शॉपिंग फेस्टिवल मनाया जाएगा। इसके लिए होटल और पर्यटन सेक्टर को विशेष तैयारी करने के लिए भी कहा गया था। आउटकम बजट में यह नहीं बताया गया कि इन सभी घोषणाओं में दिल्ली सरकार शून्य पर खड़ी है। सिर्फ कागजी घोषणाओं के अलावा इन योजनाओं पर कोई काम नहीं किया गया।
बिधूड़ी ने कहा कि आउटकम रिपोर्ट में सरकार स्वयं स्वीकार कर रही है कि शिक्षा में 67 प्रतिशत, परिवहन में 69 प्रतिशत और जल बोर्ड की योजनाओं में सिर्फ 66 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है। इसमें भी सरकार पूरी तरह झूठ बोल रही है। उदाहरण के लिए शिक्षा क्षेत्र का उल्लेख करते हुए सरकार ने कहा है कि पिछले साल सरकारी स्कूलों में दसवीं कक्षा के परिणाम 97 प्रतिशत रहे जबकि नतीजे 81.27 प्रतिशत रहे थे। आउटकम रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया कि 12वीं कक्षा के नतीजों में देश भर में दिल्ली पांचवें स्थान पर और दसवीं कक्षा में 15वें स्थान पर रही है। नेशनल एजुकेशन परफॉरमेंस ग्रेडिंग में भी दिल्ली आठवें स्थान पर लुढ़क गई है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया कि दिल्ली सरकार राजधानी की सड़कों पर 15 हजार बसें लाने की घोषणा करती रही है लेकिन साल भर में 250 इलेक्ट्रिक बसें लाई गई और वे भी केंद्र सरकार ने दिल्ली को दी हैं। इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिकों और बसों में मार्शलों की नियुक्ति को उपलब्धि बताया गया है जबकि सच्चाई यह है कि मोहल्ला क्लीनिकों में सरकार के निकम्मेपन के कारण महीनों टेस्ट बंद रहे और स्टाफ को वेतन नहीं मिला। बसों में मार्शलों को वेतन न मिलने के कारण उन्हें हटा दिया गया है। आश्रम फ्लाई ओवर को उपलब्धि बताया गया है जबकि उसका काम अभी तक पूरा नहीं हुआ और न ही वह पूरी तरह चालू हो पाया है।
बिधूड़ी ने यमुना से गंदे पानी की सप्लाई के आरोपों के बारे में कहा है कि भाजपा विधायकों ने यमुना के गंदे पानी को ही विधानसभा में पेश किया था। स्वयं दिल्ली सरकार की ही रिपोर्ट है कि यमुना का पानी 200 फीसदी और ज्यादा गंदा हो गया है और यही आरोप भाजपा विधायकों ने भी लगाया था। जो गंदा पानी भाजपा विधायकों ने दिया था, उसे बदलकर उसकी जगह दूसरी पानी की रिपोर्ट विधानसभा में अब पेश करके लीपापोती की जा रही है। बिधूड़ी ने चुनौती देते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा विधायकों और मीडिया के साथ यमुना पर चलें और वहां से पानी का सैम्पल लें। दूषित पानी का आरोप एक बार फिर साबित हो जाएगा।
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