कम उम्र के बच्चे खेल से वंचित होने के कारण तनाव ग्रस्त हो रहें हैं..

सांकेतिक फोटो 


♦️• कम उम्र के बच्चे खेल से वंचित होने के कारण तनाव भी झेल रहें..!!

♦️• देश में चिकित्सालयों से अधिक खेल मैदानों व स्टेडियमों की आवश्यकता..!!

♦️• अवैध कोचिंग संस्थानों पर लगनी चाहिए लग़ाम..!!

♦️• कहता है बचपन हमें यूं ही खेलने दो, खेलकूद कर देश सेवा योग्य बनने दो, हक है हमारा खेल के मैदान पाने का, सरकार तुम उन्हें यूं गायब ना होने दो..!

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कहते है की स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है! और आज देश में चिकित्सालयों से अधिक खेल मैदानों स्टेडियमों की आवश्यकता है! लेकिन यह देखा जा सकता है कि समूचे देश में कोचिंग संस्कृति बुरी तरह से पनप रही है यह इस कदर हावी है कि सुबह से देश के भविष्य नौनिहाल किशोर युवा कोचिंग संस्थानों में भागे भागे पहुंचते हैं! नौनिहाल किशोर और युवाओं को सुबह-सुबह खेल के मैदानों व स्टेडियमों में होना चाहिए लेकिन मिथ्या विश्वास के कारण ऐसा रुपहला वातावरण कोचिंग संस्थान निर्मित करते हैं कि अभिभावक उनके मायाजाल में बुरी तरह से फंस जाते हैं और अपने बच्चों को कोचिंग में भेजने के लिए प्रेरित होते हैं! या यों कहें कि मजबूर होते हैं!दरअसल अभिभावकों और बच्चों के मन मस्तिष्क में ये बातें घर कर गई हैं कि वास्तविक ज्ञान और सफलता की गारंटी सिर्फ कोचिंग संस्थान ही दे सकते हैं!खेल के मैदानों में एक ओर जहां बच्चों का तन मजबूत होता है वहीं मन मस्तिष्क स्थिर होता है बच्चा जितना पसीना बहाता है उसे मानसिक शांति उतनी ही अधिक प्राप्त होती है!लेकिन कोचिंग संस्थानों में न तो बच्चों का तन मजबूत होता है न मन स्थिर होता है! आज किशोर उम्र के बच्चे खेल से वंचित होने के कारण तनाव भी नहीं झेल रहें हैं!
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जीवन की छोटी छोटी समस्याओं से ही टूट जाते हैं परिस्थितियों में सामंजस्य के लिए खेलों का जीवन में होना अति आवश्यक है लेकिन विडंबना यह है कि आज छोटे छोटे बच्चों को भी चश्मा लग रहे हैं! बच्चों की दृष्टि कमजोर हो रही है व रक्ताल्पता और विटामिन डी की कमी के शिकार हो रहे हैं! बच्चों के सर्वांगीण विकास अवरुद्ध हो रहा है व महज किताबी कीड़ा बन कर रह जाते हैं!खेलने चहकने व्यायाम योग के समय में कोचिंग में समय व्यतीत करना शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा कुठाराघात है!अगर समय रहते अवैध कोचिंग संस्थानों को सरकारी स्तर पर बंद नहीं किया गया या इन पर लगाम नहीं लगाया गया तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य और बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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